
Bateshwar Mandir: नितिन फौजी बटेश्वर के जिन मंदिरों को संरक्षित करने के लिए पद यात्रा पर निकले हैं उन मंदिरों के इतिहास को गहराई से जानना भी जरूरी है। नितिन ने 6 मार्च को हरिद्वार से हर की पैड़ी से अपनी यात्रा की शुरुआती है, वो हर की पैड़ी से गंगाजल लेकर पैदल ही बटेश्वर तक यात्रा कर रहे हैं, इस दौरान नितिन अलग-अलग पड़ावों से होकर गुजरेंगे। मंजिल आसान नहीं है, मगर नितिन के साथ बटेश्वर महादेव का आशीर्वाद और लोगों को प्यार है जो उन्हें अपनी मंजिल की तरफ बढ़ने का हौसला दे रहा है।
नितिन फौजी ने जहां-जहां से भी गुजर रहे हैं लोग उनका स्वागत सत्कार कर रहे हैं और उनकी मुहिम का हिस्सा बन रहे हैं।

हरिद्वार से बटेश्वर महादेव तक की पैदल सफर आसान नहीं है। ये नितिन भी भलीभांती जानते हैं, हमने उनसे इस बारे में बात की। तो उनका यही कहना है कि सर्वसमाज का आशीर्वाद उनके साथ है फिर उन्हें किसी बात की कोई फिक्र नहीं है।
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बटेश्वर मंदिरों का इतिहास
बटेश्वर मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। बताया जाता है कि इन्हें 8वीं से 10वीं सदी के बीच बनाया गया था। मंदिरों का ये समूह गुर्जर-प्रतिहार वंश के राजाओं के शासनकाल में निर्मित हुआ था, जो अपने समृद्ध स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध था। बटेश्वर का नाम भगवान शिव के भुतेश्वर से लिया गया है। यह स्थान बहुत पहले से ही एक प्रमुख धार्मिक केंद्र रहा है, जहाँ पर लोग शिवजी की पूजा अर्चना करने के लिए आते थे।
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बटेश्वर मंदिरों का समूह
बटेश्वर मंदिरों का एक विशाल और भव्य मंदिर समूह है, जिसमें 200 से भी अधिक छोटे-बड़े मंदिर हैं। इन मंदिरों में से अधिकांश शिव और विष्णु को समर्पित हैं। मंदिरों के भीतर अद्भुत मूर्तिकला, स्थापत्य कला और भव्यता को देखा जा सकता है। हर मंदिर में भव्य शिल्पकला, अलंकृत स्तंभ, सुंदर कलात्मक चित्र और गुफाएं हैं।

बटेश्वर में वास्तुकला और शिल्पकला
बटेश्वर मंदिरों की वास्तुकला गुर्जर-प्रतिहार शैली को प्रदर्शित करती है, जिसमें शिल्पकला का अद्वितीय मिश्रण देखने को मिलता है। इन मंदिरों में काले और सफेद पत्थरों का प्रयोग हुआ है। मंदिरों के शिखर और दीवारों पर अंकित चित्र और उकेरे गए शिल्प कार्य दर्शाते हैं कि यहाँ के कारीगर अपनी कला में कितने निपुण थे।
बटेश्वर में प्राकृतिक सौंदर्य और वातावरण
बटेश्वर मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थान अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी जाना जाता है। मंदिरों का समूह एक छोटे से पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है, जहाँ से सुंदरता अदभुत है। यहां का शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक वातावरण एक अलग ही अनुभव प्रदान करता है।
बटेश्वर में समय के साथ नुकसान और पुनर्निर्माण
कई युद्धों और प्राकृतिक आपदाओं के कारण बटेश्वर मंदिरों को काफी नुकसान हुआ था। 11वीं सदी में जब आक्रमणकारियों ने इस क्षेत्र पर आक्रमण किया, तो बटेश्वर मंदिर भी इसके प्रभाव से अछूता नहीं रहा। मंदिरों के कुछ हिस्से नष्ट हो गए थे। साथ ही ये भी बताया जाता है कि यहां उस समय आए एक विनाशकारी भूकंप ने भी मंदिरों को काफी नुकसान पहुंचाया था।
बटेश्वर मंदिर का धार्मिक महत्व
बटेश्वर मंदिर भगवान शिव और विष्णु के भव्य मंदिरों के रूप में जाना जाता है। यहाँ श्रद्धालु अपने जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।
बटेश्वर मंदिर, इतिहास, वास्तुकला, और संस्कृति का अद्वितीय संगम है। यह स्थल न केवल मध्य प्रदेश, बल्कि भारत के समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहाँ का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व उसे एक अमूल्य धरोहर बनाता है।