खुल गए उत्तराखंड के चारधाम के कपाट, 6 महीने तक करिेए भगवान के दर्शन

Char Dham Yatra Begins: आज से उत्तराखंड की चारधाम यात्रा की शुरुआत हो गई है, सुबह 7 बजे केदारनाथ धाम के कपाट खोल दिए गए हैं, जिसके बाद चारधाम यात्रा का आगाज हो गया है।

उत्तराखंड की चारधाम यात्रा का हिंदू धर्म में एक अलग ही महत्व है। हिंदू धर्म के अनुयायी चारधाम यात्रा के दौरान उत्तराखंड में स्थित चार तीर्थ गंगोत्री-यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ की यात्रा करते हैं। चारधाम यात्रा की शुरुआत हर साल गर्मी के महीने में होती है। सर्दी के मौसम में चारधामों के कपाट बंद रहते हैं। ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। उत्तराखंड के चारधाम का पौराणिक ग्रंथों में विशेष महत्व बताया गया है। महाभारत में पांडवों ने बदरीनाथ-केदारनाथ और गंगोत्री यमुनोत्री धाम को चारधाम कहा है।

अक्षय तृतीया के दिन कपाट खोलने की मान्यता


अक्षय तृतीया को लेकर मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में धरती पर जन्म लिया था। साथ ही इसी दिन मां गंगा धरती पर उतरी थी। गंगा अवतरण के कारण ही अक्षय तृतीया के दिन गंगोत्री धाम के कपाट खुलते हैं। मां गंगा के इस धाम के प्रति लोगों में अटूट आस्था है। यमुनोत्री को सूर्य की पुत्री कहा जाता है, यमुनोत्री का अवतरण भी गंगा से कुछ दूरी पर हुआ है, इसलिए दोनों धामों के कपाट अक्षय तृतीया के दिन खोलने के परंपरा सदियों से चली आ रही है।

केदारनाथ धाम की मन्यता


साढ़े तीन हज़ार मीटर की ऊंचाई पर स्थित भगवान शिव का धाम केदारनाथ (kedarnath dham) अपने आप में प्राचीन मान्यताएं रखता है। बदरीनाथ धाम भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। केदारनाथ धाम का निर्माण आदिशंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में कराया था।


केदारनाथ धाम तीन तरफ से पहाड़ों से घिरा है। कहा जाता है कि केदार नाथ में तीन पहाड़ और 5 नदियों का संगम है। इन नदियों में मंदाकिनी, मधुगंगा, छीरगंगा, सरस्वती और स्वर्ण गौरी शामिल है। हालांकि अब इन नदियों से कई नदियों का अस्तित्व नहीं रहा। मगर अलकनंदा की सहायक मंदाकिनी आज भी मौजूद है।


केदारनाथ धाम में भगवान शंकर की बैल की पीठ के पिंड के रूप में पूजा होती है

*भगवान शंकर की पूजा के लिए पहुंचे थे पांडव
*पांडवों को दर्शन नहीं देना चाहते थे भगवान शंकर
*भगवान शंकर ने धारण किया था बैल का रूप
*भगवान शंकर को भीम ने पहचान लिया
*अंतर्ध्यान होने लगे थे भगवान शंकर
भीम ने बैल रूपी शिव को पकड़ लिया
*बैल का ऊपरी हिस्सा केदारनाथ में रह गया
*तभी से बैल रूप में होती है शंकर की पूजा

कितने महीने चलती है केदारनाथ यात्रा


शीतकाल के दौरान 6 महीने तक बाबा केदार पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान रहते हैं। जबकि गर्मी के 6 महीने तक बाबा केदार केदारनाथ में दर्शन देते हैं, इसलिए चारधाम यात्रा के दौरान तीर्थ यात्री यहां दर्शन कर सकते हैं।


उत्तराखंड के किस धाम में किस देव-देवता की होती है पूजा


चारधामों में केदारनाथ भगवान शिव और बदरीनाथ भगवान विष्णु को समर्पित धाम है। केदारनाथ धाम में भगवान शंकर की पूजा होती है जबकि बदरीनाथ धाम में भगवान नारायण को पूजा जाती है। गंगोत्री धाम में मां गंगा की पूजा की जाती है जबकि यमुनोत्री धाम में मां यमुना की पूजा होती है।

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