उत्तराखंड चमोली न्यूज: बदरीनाथ धाम, एक ऐसा तीर्थ जो हर श्रद्धालु के मन में आस्था का दीप जलाता है। इस धाम के पास स्थित नारायण पर्वत, जो अपनी अद्भुत प्राकृतिक और धार्मिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। इसी पर्वत पर स्थित है इंद्रधारा, एक पौराणिक धारा जो अब पूरी तरह बर्फ में तब्दील हो चुकी है। यह नज़ारा न केवल भक्तों के लिए, बल्कि प्रकृति प्रेमियों के लिए भी अद्भुत है।
इंद्रधारा का उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। मान्यता है कि इस धारा का नाम इंद्र देव के नाम पर रखा गया है। कहा जाता है कि इंद्र देव ने यहां तपस्या की थी और इसी स्थान से एक पवित्र जलधारा प्रवाहित हुई। यह धारा बदरीनाथ धाम की धार्मिक परंपरा और आस्था का प्रतीक मानी जाती है। भक्तों का मानना है कि इस धारा का जल पवित्र है और इसमें स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है।
इंद्रधारा का यह बर्फ में बदल जाना एक अद्भुत प्राकृतिक चमत्कार है। ऊंचाई, ठंड का प्रकोप, और हिमालय की कठोर जलवायु ने इसे इस रूप में बदल दिया है। हजारों वर्षों से यह धारा बहती रही है, लेकिन जब सर्दियों का प्रकोप बढ़ता है, तो यह पूरी तरह से जम जाती है।
इंद्रधारा और नारायण पर्वत न केवल धार्मिक, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। यहां की बर्फ पिघलने पर बदरीनाथ और आसपास के क्षेत्रों में जल आपूर्ति करती है। यह धारा हिमालय के संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा है, जिसका संरक्षण करना सभी की जिम्मेदारी है।
इंद्रधारा की बर्फ को देखना श्रद्धालुओं के लिए एक अद्वितीय अनुभव है। ठंड के बावजूद, भक्त यहां आते हैं और इस दृश्य को देख अपने जीवन को धन्य मानते हैं।