Uttarakhand News: कभी ना कभी हर किसी के अपने जीवन में ऐसी जरुरत पड़ जाती है जब कहीं पर ठहरने के लिए फ्री में आसरा मिल जाए और खाने के मुफ्त का भोजन। तो चलिए आपको ऐसे ही कुछ स्थानों के बारे में जानकारी देते हैं।
हरिद्वार में स्थित गायत्री शक्तिपीठ शांतिकुंज
हरिद्वार में स्थित शांतिकुंज जिसे गायत्री शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है, ये एक ऐसी जगह है जहां आने वाले हर किसी को मुफ्त में भोजन की सुविधा है, दिन और शाम के समय यहां पर आने वालों को मुफ्त में भोजन करवाया जाता है। मगर ये भोजन प्रसाद के रूप में कराया जाता है। हरिद्वार आने वाले ऐसे कितने ही लोग हैं जो शांतिकुंज जाकर प्रसाद के रूप में मुफ्त भोजन का स्वाद चखते हैं। इसके साथ ही शांतिकुंज में ठहरने के लिए मुफ्त में कमरों की भी व्यवस्था है। हां बिस्तर बिछाने के लिए सर्दी के मौसम में गर्म कपड़े की जरुरत होती है उसके लिए कुछ शुल्क जरूर लगता है वो भी बहुत ही मामूली है। शांति कुंज में एंट्री करने से पहले आपको अपना आधार कार्ड दिखाना होता है, उसके आधार पर ही गेट से एंट्री मिल जाती है। ये सिर्फ हरिद्वार शांतिकुंज की बात नहीं है, गायत्री परिवार से जुड़े देश के अलग-अलग शहरों में जितने भी गायत्री शक्तिपीठ है वहां पर भी श्रद्धालुओं के लिए इसी तरह से मुफ्त भोजन और ठहरने की व्यवस्था की गई है। जैसे, मथुरा, आगरा, जयपुर जैसे बड़े शहर, गायत्री शक्ति पीठ का नंबर इंटरनेट के माध्यम से लिया जा सकता है। वहां पर संपर्क कर आप रुकने से संबंधित जानकारी ले सकते हैं।
मसूरी रोड पर स्थिति ऐसा मंदिर, जहां मुफ्त मिलती है चाय, चढ़ावा भी मना
देहरादून मसूरी रोड पर का एक ऐसा मंदिर है। जहां दान स्वीकार नहीं किया जाता है। देहरादून में मसूरी रोड पर स्थित प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर प्रबंधन का मानना है कि भगवान धन, ऐश्वर्य, छप्पन भोग वगैरह के नहीं, बल्कि भाव के भूखे होते हैं। इसी भाव को ध्यान में रखते हुए मंदिर में दान स्वीकार नहीं है। ये मंदिर देहरादून-मसूरी रोड पर घंटाघर से करीब 12 किलोमीटर दूर कुठाल गेट के पास हरी-भरी पहाड़ियों के बीच सड़क के किनारे स्थित है मंदिर की खास बात ये है कि यहां पर राहगीरों, पर्यटकों को मुफ्त में चाय पिलाई जाती है, साथ ही प्रसाद भी दिया जाता है। मंदिर में चढ़ावा चढ़ाना बिलकुल मना है। ऐसे शायद ही कोई यात्रा हो जो मसूरी जाते समय मंदिर में रुककर ना जाता हो।
गीता भवन, ऋषिकेश – Geeta Bhawan, Rishikesh
ऋषिकेश में भी ऐसी कई जगह हैं जहां लोगों को मुफ्त आसरा और खाने-पीने की व्यवस्था है। गंगा नदी के पास गीता भवन में यात्री फ्री में रह सकते हैं। साथ ही यहां लोगों को खाना मुफ्त में दिया जाता है। इस आश्रम में करीबन 1000 कमरे हैं, यहां दुनिया के हर कोने से लोग ठहरने के लिए आते हैं। आश्रम की ओर से सत्संग और योग अभ्यास भी कराए जाते हैं।
गोविंद घाट गुरुद्वारा, चमोली, उत्तराखंड – Govind Ghat Gurudwara, Uttarakhand
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित गोविंदघाट गुरुद्वारा ऐसी जगह है जहां श्रद्धालुओं ठहरने के लिए मुफ्त व्यवस्था है, साथ ही यहां पर यात्री मुफ्त में खाना खा सकते हैं। एडवेंचर का शौक करने वाले यात्री, या आध्यात्मिक जगहों पर घूमने वाले लोग यहां मुफ्त में रह सकते हैं। गुरूद्वारे से आप पहाड़ों के खूबसूरत नजारों को भी देख पाएंगे।
ईशा फाउंडेशन – Isha Foundation
ईशा फाउंडेशन कोयंबटूर से करीबन 40 किमी दूर है, जिसे सद्गुरु के धार्मिक केंद्र के रूप में जाना जाता है। यहां आदियोगी शिव का एक बेहद ही खूबसूरत और बड़ा स्टेच्यू स्थित है। इस सेंटर में योग, पर्यावरण और सामाजिक कार्यों के क्षेत्रों में काम किया जाता है। अगर आप चाहें यहां वॉलिन्टियरिंग भी कर सकते हैं। यही नहीं, यहां आप फ्री में भी रह सकते हैं।
मणिकरण साहिब गुरुद्वारा, हिमाचल प्रदेश – Manikaran Sahib Gurudwara, Himachal Pradesh
अगर आप हिमाचल प्रदेश घूमने जा रहे हैं, तो मणिकरण साहिब में फ्री में रह सकते हैं। यहां आपको फ्री पार्किंग और खाने की भी सुविधा दी जाएगी। मणिकरण साहिब गुरुद्वारा पार्वती नदी के पास मौजूद है।
आनंदाश्रम, केरल – Anandashram, Kerala
नॉर्थ ईस्ट के राज्य केरल में भी ऐसा एक स्थान है जहां यात्री मुफ्त में रुक सकते हैं। केरल की खूबसूरत पहाड़ियों और हरियाली के बीच आनंदाश्रम में रुकना लोगों के लिए एक अलग ही अनुभव साबित होता है। इस आश्रम में भी आप फ्री में रह सकते हैं। यहां दिन के तीन टाइम का खाना दिया जाता है, अच्छी बात तो ये है खाना काफी कम मसालों में तैयार किया जाता है।
मगर ये ध्यान देने वाली बात है कि हमें इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि इस तरह की सुविधाओं का हमें तभी लाभ लेना चाहिए जब बहुत ही जरूर हो। क्योंकि इस तरह की समाजिक संस्थाओं, आश्रम आम लोगों की सहयोग से ही चलती है। जब भी आप ऐसी जगह जाएं तो दान के रूप में कुछ ना कुछ राशि अवश्य दें क्योंकि आपके दान से ही इस तरह के परोपकार के काम चलते रहेंगे।