व्यक्ति एवं समाज को सभ्यता, संस्कृति एवं संस्कार देने वाला है, श्रीमद् भागवत कथा: आचार्य उद्धव मिश्रा
हरिद्वार। कथा व्यास आचार्य उद्धव मिश्रा ने कहा कि जो श्री वैष्णव भक्ति का उद्गम ग्रन्थ हो उसे श्रीमद्भागवत कहते हैं। श्री वैष्णव भक्ति का उद्गम ग्रंथ है। स्वयं श्री भगवान् के मुख से प्रकट ग्रंथ है। पंचम वेद है। वेदों एवं उपनिषदों का सार है। भगवत् रस सिन्धु है ।

ज्ञान वैराग्य और भक्ति का घर या प्रसूति है । भगवत् तत्त्व को प्रभासित करने वाला अलौकिक प्रकाशपुंज है । मृत्यु को भी मंगलमय बनाने वाला है। विशुद्ध प्रेमशास्त्र है। मानव जीवन को भागवत बनाने वाला है। व्यक्ति को व्यक्ति एवं समाज को सभ्यता संस्कृति संस्कार देने वाला है। आध्यात्मिक रस वितरण का प्याऊ है। परम सत्य की अनुभूति कराने वाला है। काल या मृत्यु के भय से मुक्त करने वाला है ।यह श्रीमद् भागवत कथा भगवान् का वाङ्मयस्वरूप है अथवा यह श्रीमद् भागवत भगवान् की प्रत्यक्ष मूर्ति है।

श्री पंचमुखी हनुमान दुर्गा मंदिर राजा गार्डन जगजीतपुर कनखल हरिद्वार में महंत मनकामेश्वर गिरी जी महाराज के सानिध्य में श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ भव्य कलशयात्रा के साथ हुआ। इसके पूर्व श्री बालाजी धाम धर्मार्थ सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ प्रदीप मिश्रा ने सपत्नीक कथा स्थल पर गण-पत्यादि देवी देवताओं की पूजा अर्चना संपन्न की।
