NASA OSIRIS Rex: नासा ने अंतरिक्ष की दुनिया में अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी हासिल की है। 7 साल के इंतजार के बाद रविवार को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी का एक कैप्सूल क्षुद्रग्रह बेन्नू का नमूना लेकर हमारी पृथ्वी पर उतरा है। धरती पर उतरे सैंपल से वैज्ञानिकों को सौर मंडल की उत्पत्ति के बारे में अधिक जानकारी हासिल करने में मदद मिलेगी। #OSIRISREx (first asteroid sample collected in space by NASA will arrive on Earth Sunday, Sept. 24)
नासा को इस सफलता के लिए सात साल का इंतजार करना पड़ा है। लिहाजा सवाल उठते हैं कि धरती पर उतरा नमूना क्या है? इसके लिए भेजा गया मिशन ओसिरिस-रेक्स क्या था? नमूने के धरती पर उतरने के बाद क्या हुआ? इससे वैज्ञानिकों को क्या हासिल होगा? इस नमूने की अहमियत क्या है? आइये समझते हैं…
इसे भारतीय समयानुसार रविवार रात 8.22 बजे पैराशूट के जरिये यूटा रेगिस्तान में उतारा गया। यह रेगिस्तान अमेरिकी रक्षा विभाग के यूटा परीक्षण और प्रशिक्षण रेंज में आता है। नमूने में करीब 250 ग्राम क्षुद्रग्रह की चट्टानें और मिट्टी हैं। जब इस कैप्सूल ने पृथ्वी की वायुमंडल में प्रवेश किया, उस समय इसकी गति 44,498 किलोमीटर प्रति घंटा थी। इतनी गति बंदूक से निकली गोली से 15 गुना से भी अधिक मानी जाती है। धरती के वायुमंडल में एंट्री करते ही ये आग के गोले में तब्दील नजर आ रहा था। मगर कैप्सूल को इस तरह से डिजाइन किया गया था जिस वजह से इसके अंदर रखे गए सैंपल पर कुछ असर नहीं पड़ा है।
जानते हैं ओसिरिस-रेक्स मिशन क्या था?
जिस मिशन के जरिए नासा ने ये कामयाबी हासिल की है, वो OSIRIS-REx था। OSIRIS-REx का अर्थ ऑरिजिंस, स्पेक्ट्रल इंटरप्रिटेशन, रिसोर्स आइडेंटिफिकेशन, सिक्योरिटी, रेगोलिथ एक्सप्लोरर है। इस मिशन ने सात साल पहले 2016 में उड़ान भरी और 2018 में बेन्नू क्षुद्रग्रह की परिक्रमा शुरू की। 2020 में अंतरिक्ष यान ने नमूना इकट्ठा किया। मिशन ने मई 2021 में अपना लंबा सफर शुरू किया। मिशन ने बेन्नू और वापसी तक कुल 6.22 अरब किलोमीटर की यात्रा की।
कैप्सूल जब धरती पर प्रवेश किया तो इसका तापमान 2,760 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। टीम ने यह भी सुनिश्चित किया कि कैप्सूल की बैटरी ना फटे और ना ही कोई जहरीला धुआं लीक हो।
नमूने से वैज्ञानिकों को क्या हासिल होगा?
जानकारी के मुताबिक, नमूने के बारे में विवरण देने के लिए 11 अक्तूबर को जॉनसन स्पेस सेंटर से नासा प्रसारण करेगा। वहीं शोधकर्ताओं की मंगलवार को नमूने से कुछ बारीक सामग्री इकट्ठा करने की योजना है। नासा से जुड़े वैज्ञानिक लॉरेटा ने बताया कि प्रारंभिक विश्लेषण में खनिजों और रासायनिक तत्वों की मौजूदगी का पता लगाया जाएगा।
जॉनसन स्पेस सेंटर के अंदर एक अलग साफ कमरे में वैज्ञानिक अगले दो वर्षों तक चट्टानों और मिट्टी का विश्लेषण करेंगे। नमूने को भी बांटा जाएगा और दुनियाभर की प्रयोगशालाओं में भेजा जाएगा। बता दें कि कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी और जापानी एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी भी मिशन के भागीदारों में हैं। लगभग 70 फीसदी नमूना भंडारण में मौलिक रहेगा ताकि भविष्य की पीढ़ियां बेहतर तकनीक के साथ अब जितना संभव हो सके उससे भी अधिक सीख सकें।
क्षुद्रग्रह के नमूने क्यों अहम है?
नमूने के साथ आईं चट्टानें और मिट्टी हमारे सौरमंडल की शुरुआत के बारे में अहम जानकारी दे सकती हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि बेन्नू जैसे कार्बोनेसियस क्षुद्रग्रह पृथ्वी के निर्माण के दौरान जल्दी ही ग्रह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गए, जिससे पानी जैसे तत्व मिले। वैज्ञानिकों का मानना है कि बेन्नु सौरमंडल की अपनी सबसे पुरानी सामग्री का प्रतिनिधि है जो विलुप्त हो रहे बड़े तारों और सुपरनोवा विस्फोटों में बनी है। इसी कारण से नासा छोटे पिंडों को समर्पित इन मिशनों में निवेश कर रहा है ताकि वैज्ञानिकों की समझ को बढ़ाया जा सके कि हमारा सौरमंडल कैसे बना।