Meghalaya: खासी और गारो भाषाओं को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग

Meghalaya News Desk: मेघायल में बोली जाने वाली खासी और गारो भाषाओं को भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग धीरे-धीरे जोर पकड़न लगी है। मेघालय कांग्रेस से निलंबित विधायक डॉ.अम्परिन लिंगदोह ने केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में गारो और खासी को शामिल करने की मांग रखी है। 

शिलांग में आयोजित एक कार्यक्रम में मेघवाल की मौजूदगी में स्वदेशी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए तीन दिवसीय उत्सव के समापन समारोह में बोलते हुए अम्पारीन लिंगदोह ने ये अनुरोध किया। हाल ही में मेघालय के मंत्रिमंडल ने राज्य में न्यायिक सेवाओं की परीक्षा में खासी और गारो भाषाओं को अनिवार्य बनाने से संबंधित संशोधन को मंजूरी दी थी। राज्य के कानून मंत्री जेम्स पी. के. संगमा ने कहा कि राज्य न्यायिक सेवा नियमों में संशोधन के तहत परीक्षार्थियों के लिए मेघालय की दो प्रमुख भाषाओं खासी या गारो में उत्तीर्ण होना अनिवार्य किया गया है। मेघालय उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ के समक्ष हुई सुनवाई के बाद न्यायिक सेवा नियम, 2006 और मेघालय उच्च न्यायिक सेवा नियम, 2015 में संशोधन के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसके बाद मंत्रिमंडल ने ये फैसला लिया। कैबिनेट की बैठक के बाद संगमा ने कहा कि मंत्रिमंडल ने मेघालय न्यायिक सेवा नियम, 2006 में संशोधन को मंजूरी दी थी।

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