गंगा नदी का सफर
गंगा दुनिया की सबसे महान नदी और पवित्र नदी है। मगर भारत के लिए गंगा सिर्फ नदी ही नहीं है, उसे मोक्षदायिनी कहा जाता है। भारत में गंगा को देवी माना जाता है। देश के करोड़ों लोगों के लिए गंगा धार्मिकता का स्रोत है। हिंदू धर्म के लोगों में गंगा के प्रति अटूट आस्था है। इसी आस्था ने गंगा को एक महान पवित्र नदी बना दिया है।
गंगा हिमालय के ग्लेशियरों से निकलती है और लगभग ढाई हजार किमी का सफर तय करने के बाद बंगाल की खाड़ी में समा जाती है। गंगा के किनारे कई पवित्र तीर्थ स्थित हैं। जिनमें उत्तराखंड के कई तीर्थ भी शामिल है। गंगा नदी पहाड़ से निकलने वाली कई जलधाराओं से मिलकर बनी है। जिसकी शुरुआत हिमालय से होती है। हिमालय पर्वत सदियों से आध्यत्म का केंद्र बिंदू रहा है। भगवान शंकर भी हिमालय की इन्हीं पर्वतमालाओं ने ध्यान में लीन रहते हैं। इसलिए इस इलाके को देवताओं के भूमि भी कहा जाता है। गंगा की कहानी भी हिमालय की इन्हीं पर्वतमालाओं से शुरू होती है। हिमालय में गोमुख से एक जलधारा निकलती है, जिसे भागीरथी कहा जाता है। इसका नाम भागीरथ के नाम पर रखा गया है।
सिमट रहा गंगोत्री ग्लेशियर
हालांकि वक्त बदलने के साथ ही गंगोत्री ग्लेशियर का आकार काफी घट चुका है। वैज्ञानिकों का दावा है कि भागीरथी जहां से निकलती थी अब वो स्थान बदल चुका है। जानकार बताते हैं कि गंगा का मुहाना गोमुख कभी 18 किमी चौड़ा हुआ करता था। मगर अब उसका आकार काफी छोटा हो चुका है।
कहां पड़ा गंगा नाम
गंगोत्री ग्लेशियर से निकलने के बाद भागीरथी पहाड़ों की ढलाने लांघती हुई आगे बढ़ती रहती है। इसके पूर्व में एक नदी और बहती है, जिसे गंगा की बहन अलकनंदा कहा जाता है। माना जाता है कि ये भी भगवान शिव की जटाओं से निकलती है। भागीरथी और अलकनंदा देवप्रयाग में आकर मिल जाती है। जहां जन्म होता है भारत की सबसे महान और पवित्र नदी गंगा का।
देवप्रयाग की क्या है मान्यता
देवप्रयाग को बेहद प्राचीन स्थल कहा जाता है। इसे पंच प्रयागों में से एक कहा जाता है। इस स्थान के बारे में कहा जाता है कि जब राजा भगीरथ ने गंगा को धरती पर उतारने के लिए मना लिया था। तो गंगा के साथ 33 करोड़ देवी देवता भी धरती पर आए थे। तब उन्होंने देवप्रयाग को अपना आवास बनाया था। भागीरथी और अलकनंदा के संगम पर स्थित होने के कारण देवप्रयाग का महत्व प्रयाग की तरह से ही है।
मैदानी इलाकों में पहुंचने से सबसे पहले गंगा एक बड़े धार्मिक शहर ऋषिकेश में प्रवेश करती है। ऋषिकेश में भारत के कोने कोने से तीर्थ यात्री आते हैं। ये सिर्फ भारत ही नहीं दुनियाभर के आध्यात्मिक साधकों की खींच लाता है। पौराणिक काल से ही ऋषिकेश शहर का महत्व रहा है।