Kedarnath Yatra: केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ावा सोनप्रयाग में उत्तराखंड के विभिन्न जिलों के घोड़ा-खच्चर संचालकों ने प्रदर्शन किया। घोड़ा खच्चर संचालकों ने सोनप्रयाग में केदारनाथ हाईवे पर जाम लगा दिया। घोड़ा खच्चर संचालकों का कहना है कि सिर्फ रुद्रप्रयाग वाले घोड़ा खच्चरों को ही केदारनाथ यात्रा पर जाने दिया जा रहा है। इनकी नाराजगी इस बात को लेकर है कि दूसरे जिलों के घोड़ा खच्चर संचालकों को केदारनाथ मार्ग पर चलने की इजाजत नहीं दी गई है।
केदारनाथ यात्रा में अहम भूमिका वाले घोड़ा-खच्चर की संख्या सीमित किए जाने के कारण चार हजार से अधिक घोड़ा-खच्चर का पंजीकरण नहीं हो पा रहा। यात्रा के लिए इस साल केवल पांच हजार घोड़ा-खच्चर का ही पंजीकरण किया गया है। मगर घोड़ा खच्चर संचालकों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है। ऐसे में इन लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
चार धाम यात्रा के लिए आने वाले दिनों में लोगों के यहां आने से ये संख्या कम पड़ सकती है। ऐसे में तीर्थ यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। घोड़ा संचालक ट्रेड यूनियन के वरिष्ठ सदस्य गोविंद सिंह रावत का कहना है कि सरकार को चार हजार अतिरिक्त घोड-खच्चर का पंजीकरण करना चाहिए, ताकि यात्रा का दबाव बढ़ने पर तीर्थ यात्रियों को किसी तरह की परेशानी न हो।
चमोली जिले के घोड़ा-खच्चर संचालकों को महाराज का समर्थन
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि केदारनाथ यात्रा में चमोली जिले के घोड़ा-खच्चर संचालकों का भी सहयोग लिया जाएगा। किसी भी स्थिति में उनकी उपेक्षा नहीं होने दी जाएगी।
महाराज के अनुसार उनके संज्ञान में आया है कि चमोली जिले के घोड़ा-खच्चर-संचालकों को केदारनाथ यात्रा के लिए लाइसेंस नहीं मिल पा रहा है, जिससे उनको परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस संबंध में उनकी शासन में भी बातचीत हुई है।
भैरव गदेरा तक घोड़ा-खच्चर की आवाजाही शुरू:
तीन दिन बाद भैरव गदेरा तक घोड़ा-खच्चर की आवाजाही शुरू कर दी गई है। भैरव व कुबेर गदेरे में हिमस्खलन के चलते घोड़ा-खच्चर के केदारनाथ जाने पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन शनिवार को केदानाथ धाम से लगभग तीन किमी पहले भैरव व कुबेर गदेरे तक घोड़ा-खच्चर की आवाजाही शुरू कर दी गई है। इससे आगे तीर्थयात्री पैदल ही जा रहे हैं।