उत्तराखंड: कृषि सिंचाई योजना में फर्जीवाड़ा, घोटाले की राशि करीब डेढ़ करोड़ रुपये

किसानों के नाम से सरकारी योजना में धांधली, किसानों के नाम पर हड़प लिए गए डेढ़ करोड़ रुपये

उत्तराखंड में घोटाला : उत्तराखंड में कृषि सिंचाई योजना के नाम पर बड़ा घोटाला समाने आया है जिसमें मृत किसानों के नाम पर सरकारी योजना का पैसा हड़प लिया गया, जबकि योजना से लाभांवित होने वाले किसानों को इस बारे में कोई जानकारी तक नहीं है। मामले का खुलासा होने के बाद अब कहीं जाकर अधिकारियों की नींद खुली है। इस मामले में फर्जी हस्ताक्षर करके प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की राशि हड़पी गई है। बड़ी बात यह है कि यह घोटाला जिस गांव में हुआ वहां के किसानों ने इस योजना के लिए आवेदन भी नहीं किया था। सिल्ला गांव देहरादून से सिर्फ 30 किलोमीटर की दूरी पर है।

देहरादून के रायपुर ब्लॉक के मसूरी विधानसभा क्षेत्र के सिल्ला गांव देहरादून जिले के रायपुर ब्लॉक के अंतर्गत आता है, जो कि मसूरी विधानसभा में पड़ता है।

मामले पर क्या कहा कृषि मंत्री गणेश जोशी ने

मसूरी विधानसभा से गणेश जोशी विधायक हैं, जो कि धामी सरकारी में कृषि मंत्री भी है, जाहिर है कृषि मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में इतना बड़ा घोटाल होना बड़ी बात है। कृषि मंत्री गणेश जोशी से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पुष्कर सिंह धामी की सरकार है कोई कितना भी बड़ा व्यक्ति होगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। गणेश जोशी ने कहा कि मौजूदा सरकार में करप्शन करने वालों के लिए कोई जगह नहीं है कोई कितना भी प्रभावशाली व्यक्ति हो उसे बख्शा नहीं जाएगा।

आपको बता दें प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में फर्जीवाड़े का मामला गरमा गया है। सिल्ला गांव में 30 किसानों के नाम पर फर्जीवाड़ा हुआ है। गांव की महिला राजमती देवी के पति हंसराम नौटियाल ने बताया कि उनकी पत्नी साक्षर नहीं है और जरुरत पड़ने पर अंगूठा लगाती है, लेकिन उनके शपथ पत्र पर राजमती देवी के साइन किए गए थे, जाहिर है ये सब सरकारी दफ्तरों के अंदर बैठे अधिकारियों की मिलीभगत के बगैर संभव नहीं है।

दिवंगत किसान रामप्रसाद के नाम पर भी 1.16 लाख रुपये हड़प लिए गए। सिल्ला गांव के किसान रामप्रसाद के बारे में गांव वालों ने बताया अब वे जीवित ही नहीं हैं।

योजना के नाम पर करीब डेढ़ करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। इस योजना को सिर्फ कागजों पर अंजाम दे दिया गया है। जबकि वास्तव में जिन किसानों को इस योजना का लाभ मिलना था, जिनके नाम पर अनुदान दिया जाना था उन्हें इस योजना की खबर तक नहीं थी। ऐसे में समझा जा सकता है कि इस योजना के नाम पर किस तरह से सरकार सिस्टम की लापरवाही रही है।

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