What is the Garbh Grah of Mandir: अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बन रहा है, राम लला की मूर्ति को मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित किया जा चुका है, आपके मन में भी ये सवाल जरूर उठ रहा होगा कि आखिरकार मंदिर के गर्भ गृह होता क्या है और सभी मूर्तियां मंदिर के गर्भ गृह में ही क्यों स्थापित की जाती है। चलिए आपको इस बार में महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं (Mountain Journey)
क्या होता है गर्भ गृह, मूर्तियां यहीं पर क्यों स्थापित की जाती हैं ?
कोई भी मंदिर कई भागों में बंटा होता है, पहला जगती, दूसरा अधिष्ठान, तीसरा गर्भगृह, चौथा शिखर और अंत में शिखर के ऊपर आमलक और कलश होते हैं। गर्भ गृह ही मंदिर का मुख्य भाग है। यह जगती या मंड के ऊपर बना होने के कारण मंडोवर भी कहलाता है। गर्भगृह के एक ओर मंदिर का द्वार और तीन ओर भित्तियों का निर्माण होता है। प्राय: द्वार बहुत अलंकृत बनाया जाता था उसके स्तंभ कई भागों में बँटे होते थे। गर्भगृह मंदिर का हृदयस्थान है। मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा हो जाने के बाद ये अत्यंत पवित्र हो जाता है। विष्णु की मूर्तियाँ प्राय: पिछली दीवार के सहारे रखी जाती हैं और शिवलिंग की स्थापना गर्भगृह के बीचोबीच होती हैं। इसे मंदिर का ब्रह्मस्थान कहा जाता है। गर्भगृह प्राय: चकौर होता है।
मंदिरों में गर्भगृह क्यों बनाए जाते हैं?
अब सवाल यह भी है कि मंदिरों में गर्भगृह क्यों बनाए जाते हैं, तो इसका जवाब है कि भगवान के विराजमान स्थल को खुले में नहीं बनाया जाता है इसलिए बड़े हॉल में एक छोटा सा कमरा बनाया जाता है जिसमें मूर्ति को स्थापित किया जाता है। ये सभी मान्यताएं शास्त्रों के मुताबिक चली आ रही हैं, भगवान का स्थान पवित्र रहे इसलिए उन्हें मंदिर में एक अलग स्थान दिया जाता है, जहां सिर्फ भगवान की मूर्ति स्थापित होती है। या वहां सिर्फ पुजारी है पूजा-अर्चना करते हैं, गर्भ गृह तक आम श्रद्धालुओं को नहीं जाना दिया जाता है वहां सिर्फ आप दूर से ही भगवान के दर्शन कर सकते हैं।
अयोध्या मंदिर में गर्भ गृह में स्थापित हुई भगवान राम की मूर्ति
अयोध्या राम मंदिर के गर्भ गृह में भगवान राम की मूर्ति की स्थापना हो चुकी है, ये वही मूर्ति है जिसे मूर्तिकार योगीराज ने बनाया है। जबकि मंदिर में दूसरी जगह पर भगवान राम की प्राचीन मूर्ति जिसे हम राम लला के नाम से भी जानते हैं स्थान दिया गया है।
सनातन धर्म के आचार्यों के अनुसार पहले गर्भ गृह छोटे होते थे उनका द्वार भी छोटा होता था और उसमें एक बार में 3-4 लोग ही दर्शन कर पाते थे। हालांकि वक्त के साथ गर्भ गृह के इन कमरों का आकार बढ़ता चला गया। कुछ प्राचीन मंदिरों में गर्भ गृह को मंदिर के मुख्य केंद्र के नीचे स्थापित किया जाता था। उम्मीद है कि आपको ये जानकारी पसंद आई होगी, तो निवेदन है कि इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर करें ताकी राम लला के इस पवित्र कार्य में आपका सहयोग मिल सके।