देहरादून: उत्तराखंड में साल 2015-16 में हुए दारोगा भर्ती घोटाले में उत्तराखंड पुलिस के 20 दारोगाओं को सस्पेंड कर दिया गया है। पुलिस मुख्यालय ने इन दारोगाओं की सूची संबंधित जिलों में भेज दी गई है। इस भर्ती घोटाले की जांच विजिलेंस कर रही है। एडीजी वी. मुरुगेशन ने बताया कि भर्ती घोटाले की विजिलेंस जांच में अब तक 40 से अधिक दारोगा पर परीक्षा में धांधली कर नियुक्ति पाने का आरोप है। जानकारी के अनुसार आरोपी दारोगाओं के शैक्षिक प्रमाण पत्रों की भी जांच हो रही है। ये कार्रवाई पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार के आदेश के तहत की गई है। आदेश में ये भी कहा गया है कि जब तक इस मामले की पूरी जांच नहीं हो जाती तब ये 20 दारोगा निलंबित रहेंगे।
पुलिस मुख्यालय ने निलंबित 20 दरोगाओं के नाम और पोस्टिंग स्थल भी जारी किए हैं। जिन 20 दरोगा को निलंबित किया गया है, उनके नाम दीपक कौशिक ,अर्जुन सिंह, बीना पपोला, हरीश माहर, संतोषी, जगत सिंह ,लोकेश हैं। ये फिलहाल ऊधमसिंहनगर में तैनात थे। जबकि नीरज चौहान भावना बिष्ट आरती पोखरियाल प्रेमा कोरगा नैनीताल में नियुक्त थे। ओमवीर प्रवेश रावत, निखिल बिष्ट,राज नारायण व्यास जैनेंद्र राणा देहरादून में तैनात थे। पुष्पेंद्र पौड़ी औ गगन मैठानी चमोली वहीं तेज कुमार चंपावत और मोहित सिंह रौथान एसडीआरएफ में ड्यूटी कर रहा था।
उत्तराखंड दारोगा भर्ती घोटाला 2015-16 का है। इस मामले में विजिलेंस की कुमाऊं यूनिट पहले ही 12 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर चुकी है। वहीं, अब विजिलेंस की रडार पर 40 से 75 दारोगा हैं, जो परीक्षा में धांधली कर 2015-16 में दारोगा बने थे। इनमें से 20 दारोगा को सस्पेंड कर दिया गया है। पुलिस मुख्यालय से यह आदेश किए गये हैं। विजिलेंस की प्राथमिक जांच में पाया गया कि ये 20 दारोगा रुपये देकर भर्ती हुए थे। आपको बता दें वर्ष 2015 में 339 दारोगाओं की भर्ती हुई थी।
यूकेएसएसएससी परीक्षा में भर्ती घोटाले के खुलासे के दौरान ये बात सामने आई थी कि 201516 में हुई दरोगा भर्ती में भी व्यापक स्तर पर धांधली हुई थी। 339 पदों के लिए 2015 में जारी विज्ञप्ति के बाद 17, 606 अभ्यर्थियों द्वारा आवेदन किया गया था जिसकी परीक्षा पंतनगर विश्वविघालय द्वारा आयोजित कराई गई थी। इस परीक्षा में 229 पुरुष और 101 महिला अभ्यर्थियों का चयन किया गया था। जिनकी ट्रेनिंग मेरठ और मुरादाबाद पीटीसी में कराई गई थी।
तत्कालीन सीएम हरीश रावत के कार्यकाल में हुई थी भर्ती
वर्ष 2015 में हुई ये भर्ती तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में हुई थी। दारोगा के 339 पदों पर सीधी भर्ती की परीक्षा की जिम्मेदारी गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय पंतनगर को दी गई थी। उस दौरान भी भर्ती में घपले के आरोप लगे थे, लेकिन तब सरकार की ओर से जांच न कराने के कारण मामला दब गया।