
पिथौरागढ़: केन्द्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा रविवार को चीन सीमा से सटे ज्योलिकोंग पहुंचे और पवित्र आदि कैलाश के दर्शन किए। इस दौरान जेपी नड्डा ने
सीमा पर तैनात जवानों से भी मुलाकात की। जेपी नड्डा देहरादून से सीधे गुंजी पहुंचे और व्यास घाटी की जनता ने उनका परंपरागत ढंग से भव्य स्वागत किया।
इस खास मौके पर नड्डा को संस्कृति की प्रतीक पगड़ी पहनाई गई। नड्डा आदि कैलाश की प्राकृतिक सुंदरता से अभिभूत नजर आए। उन्होंने पार्वती कुंड और आदि कैलाश के निकट विराजमान भगवान शिव की विधि विधान से पूजा-अर्चना की।

इस मौके पर जेपी नड्डा ने कहा कि पिथौरागढ़, उत्तराखंड में हिमालय की गोद में स्थित अध्यात्म और संस्कृति की पवित्र स्थली आदि-कैलाश के पावन दर्शन कर धन्य हुआ। इस दौरान राष्ट्र की रक्षा में प्रतिपल कर्तव्यनिष्ठ हमारे वीर जवानों से भेंट कर उनके साहस, शौर्य और उत्साह के साक्षी बनने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ। अलौकिक सौंदर्य और आस्था के केंद्रों से परिपूर्ण, व्यास घाटी में स्थित ॐ पर्वत समेत सभी पावन स्थल हमारी सनातन संस्कृति की पहचान और समग्र विश्व में करोड़ों शिवभक्तों की आस्था का केन्द्र हैं।

जेपी नड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की ज्योलिकोंग यात्रा ने न केवल आदि कैलाश की आध्यात्मिक महत्ता को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उजागर किया है बल्कि इसे एक साहसिक और आध्यात्मिक पर्यटन के रूप में भी नई पहचान दिलाई है।
इस मौके पर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में देवभूमि उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों का निरंतर विकास हो रहा है। जेपी नड्डा के कैलाश भ्रमण से इस पवित्र स्थल की प्रसिद्धि बढ़ेगी।
आदि कैलाश के दर्शन करके जेपी नड्डा ने न केवल व्यक्तिगत श्रद्धा को प्रकट किया, बल्कि इस यात्रा के ज़रिए एक राष्ट्रीय संदेश भी दिया कि विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक विरासत की रक्षा भी हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
आदि कैलाश यात्रा अत्यंत कठिन मानी जाती है। 15,000 फीट से अधिक की ऊँचाई पर स्थित यह स्थान भक्तों के लिए आस्था और साहस दोनों की परीक्षा है। जेपी नड्डा की यह यात्रा आम लोगों को भी आध्यात्मिक पर्यटन के लिए प्रेरित करती है।