उत्तराखंड रुद्रप्रयाग न्यूज: तृतीय केदार तुंगनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। कपाट बंद होने के मौके पर पांच सौ से ज्यादा श्रद्धालु मौजूद रहे। इस दौरान पूरा क्षेत्र हर हर महादेव के जयकारों से गूंज उठा। कपाट बंद होने के बाद भगवान तुंगनाथ की डोली भी प्रवास पर निकल गई है। भगवान तुंगनाथ सात नवंबर को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर मर्कटेश्वर मंदिर में विराजमान हो जाएंगे।
तुंगनाथ की यात्रा इस साल 10 मई को शुरू हुई थी। इस यात्रा सीजन में तुंगनाथ धाम में पौने दो लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे।
भगवान तुंगनाथ जी की उत्सव डोली आज चोपता से भनकुन पहुंची। उत्सव डोली 6 नवंबर तक भनकुन में प्रवास करेगी। 7 नवंबर को पंचमुखी उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल श्री मर्केटेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचेगी। इसी के साथ श्री मर्केटेश्वर मंदिर मक्कूमठ में शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जायेंगी। श्री तुंगनाथ जी की उत्सव डोली ने कल चोपता में प्रवास किया।
तुंगनाथ धाम के बारे में जानें
उत्तराखंड राज्य के खूबसूरत पहाड़ों में बसा है तुंगनाथ धाम, जो अपने आध्यात्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। यह विश्व का सबसे ऊँचा शिव मंदिर है, जो समुद्र तल से लगभग 3,680 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। चोपता से तुंगनाथ तक का सफर एक ऐसा अनुभव है जो हर यात्री को जीवन में एक बार ज़रूर करना चाहिए। लगभग 4 किलोमीटर की ये कठिन लेकिन खूबसूरत यात्रा हर कदम पर भक्तों को भगवान शंकर के करीब ले जाता है।
तुंगनाथ तक पहुँचने के रास्ते में हर कदम पर प्राचीन संस्कृति, पौराणिक कथाएँ, और शिव भक्ति की झलक मिलती है। कहते हैं कि यहाँ भगवान शिव का भुजाओं का हिस्सा गिरा था, जब उन्होंने पांडवों के सामने प्रकट होने से मना कर दिया था।
तुंगनाथ मंदिर की स्थापत्य शैली और वातावरण का सौंदर्य मंत्रमुग्ध कर देता है। यह मंदिर हजारों वर्षों पुराना है और पंच केदार में से एक के रूप में शिवभक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। पत्थरों से निर्मित इस मंदिर की बनावट देखना अपने आप में अद्भुत है।
मंदिर के अंदर हर सुबह और शाम आरती का आयोजन होता है, जहाँ घंटियों की ध्वनि, मंत्रों की गूंज और श्रद्धालुओं की भक्ति मिलकर एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव का एहसास कराती है। यहाँ आकर हर व्यक्ति अपने जीवन के दुखों को भुलाकर एक नई ऊर्जा प्राप्त करता है।
तुंगनाथ सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं है, यह एक ऐसा स्थान है जहाँ प्रकृति, भक्ति और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम होता है। यहाँ आकर लगता है जैसे आप शिव के साक्षात दर्शन कर रहे हों।