Laksar Leopard: (रिपोर्ट- प्रवीण सैनी) उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के लक्सर क्षेत्र में इन दिनों गुलदार का आतंक है। दाबकी गांव से शुरू हुई गुलदार की दहशत अब क्षेत्र के कई गांव में फैल चुकी है। गुलदार को देखे जाने के ग्रामीणों के अपने अपने दावे हैं। ऐसे में सवाल ये है कि क्या वाकई लक्सर क्षेत्र में कोई गुलदार मौजूद है।
ग्रामीणों का दावा है कि उन्होंने गुलदार के जैसे दिखने वाले एक जानवर को जंगल में घूमते हुए देखा है। कुछ ग्रामीणों का सौ फीसदी तक दावा है कि ये कोई गुलदार या तेंदुआ ही है। जिससे उनकी जान को खतरा है।
करीब 10 दिन पहले दाबकी गांव (Dabki Village Leopard) एक ग्रामीण के बछड़े को संदिग्ध हालत में किसी जानवर ने नोचकर मार डाला था। ग्रामीणों का दावा है ये उसी गुलदार का काम है, जिसे लोगों ने गांव के आस पर मंडराते हुए देखा है।
लक्सर में सोशल मीडिया पर गुलदार के वीडियो वायरल
लक्सर क्षेत्र में सोशल मीडिया पर इन दिनों गुलदार (Laksar Leopard) के कुछ वीडियो वायरल हो रहे हैं, जो लक्सर क्षेत्र के बताए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर एक सीसीटीवी भी वायरल हुआ है जिसमें गुलदार के जैसा दिखने वाला एक जानवर रास्ते से गुजरता नजर आ रहा है, चूंकि ये सीसीटीवी रात के समय का है, इसलिए इसमें स्पष्ट रूप से साफ नहीं कहा जा सकता है कि क्या ये वाकई गुलदार या तेंदुआ है या ये दूसरा कोई जानवर है।
सोशल मीडिया पर ही एक और और वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें जंगल में बने ट्यूबवैल के एक कमरे के ऊपर गुलदार (Laksar Guldar Video) बैठा नजर आ रहा है। इस वीडियो में स्पष्ट है कि ये तेंदुआ या गुलदार ही है। मगर इस वीडियो की भी अभी तक पुष्टि नहीं हो पाई है क्या ये वीडियो लक्सर क्षेत्र के किसी गांव का है, साथ ही ये भी नहीं पता चल पाया है कि इस वीडियो को आखिरकार किसने बनाया है।
कुछ ग्रामीणों का तो यहां तक कहना है कि लक्सर क्षेत्र में एक नहीं बल्कि कई गुलदार की मौजूदगी है, ये गुलदार पिछले कुछ रोज के भीतर ही अलग-अलग गांव में ग्रामीणों के द्वारा देखे गए हैं। तो क्या लक्सर क्षेत्र में वाकई गुलदार मौजूद हैं।
गुलदार या तेंदुआ होता क्या है, कैसे पहचानें?
भारत के जंगलों में शेर, बाघ के अलावा तेंदुआ या गुलदार भी पाया जाता है। जबकि उत्तराखंड के जंगल में सिर्फ तेंदुए, गुलदार और टाइगर ही हैं। उत्तराखंड के जंगल में बहुत संख्या में गुलदार मिलते हैं, पौड़ी जिले में गुलदार की सबसे ज्यादा मौजूदगी है। गुलदार चूंकि जंगली जानवर है, इसलिए ये ऐसी जगह रहना पसंद करता है जहां उसके लिए भरपूर मात्रा में शिकार है। जंगल में रहते हुए ये अपने से छोटे जानवर जैसे बंदर, हिरण, चितल, लोमड़ी, जंगल गाय जैसे जानवरों का शिकार करता है। जंगल ये बाहर ये तभी आते हैं जब जंगल में कोई की कमी होती है। आबादी वाले इलाके में गुलदार की सबसे पहली कोशिश किसी मवेशी का शिकार करने की होती है, ये इंसानों पर उस समय ही हमला करते हैं जब कोई शिकार ना मिल रहा हो।
लक्सर क्षेत्र में कहां से आया होगा गुलदार ?
अगर लक्सर इलाके में कोई गुलदार आया भी होगा तो वो किसी दूसरे जंगल से यहां पहुंचा होगा। क्योंकि लक्सर के आस पास ज्यादातर खेतीबाड़ी वाला जंगल है, गुलदार कभी खेतों में रहने वाला जानवर नहीं है। लक्सर से लगता हुआ सबसे बड़ा जंगल काठा पीर वाला है, इस जंगल में भी गुलदार की मौजूदगी नहीं है। यहां सिर्फ हिरण जैसे छोटे जानवर हैं। हो सकता है कि हरिद्वार से लगने वाले राजाजी टाइगर पार्क से होते हुए ये गुलदार लक्सर क्षेत्र तक पहुंच गया हो, क्योंकि राजाजी पार्क में गुलदार की मौजूदगी है।
लक्सर क्षेत्र के पूर्वी, पश्चिम, और दक्षिणी दिशा से लगता ऐसा कोई ऐसे जंगल मौजूद नहीं है, जहां पर गुलदार की मौजूदगी हो। ऐसे में वन विभाग के सामने सबसे अहम सवाल ये है कि अगर लक्सर क्षेत्र में गुलदार आया है तो वो पहुंचा कहां से।
हो सकता है भोजन की तलाश में गांव का रुख कर रहा हो गुलदार
इतना तो साफ है कि अगर लक्सर क्षेत्र में कोई गुलदार मौजूद है तो वो यहां किसी दूसरे जंगल से ही आया है। चूंकि लक्सर क्षेत्र के आस पास खेतीबाड़ी वाला इलाका है, इसलिए जंगल में गुलदार को भोजन मिलना मुश्किल है, यही वजह हो सकती है कि वो गुलदार भोजन की तलाश में आबादी वाली इलाके का रुख कर रहा हो।
खैर जब तक लक्सर क्षेत्र में गुलदार नाम की दहशत का अंत नहीं हो जाता है लोगों को चौकन्ना और सावधान रहने की जरुरत है। जब ये साफ ना हो जाए कि क्या वाकई ये गुलदार ही है, तब तक चौकन्ना रहने में सबकी भलाई है।