हेमकुंड साहिब: एक आध्यात्मिक और रोमांचकारी यात्रा
गुरु गोविंद सिंह जी ने की थी हेमकुंड साहिब में तपस्या
Hemkund Sahib Yatra2024: सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह की हेमकुंड साहिब यात्रा शुरू हो गई है, सुबह साढ़े 9 बजे हेमकुंड साहिब के कपाट तीर्थ यात्रियों के लिए खोल दिए गए हैं। सुरक्षा के दृष्टिगत प्रतिदिन 3,500 श्रद्धालुओं को ही हेमकुंड भेजने की सीमा निर्धारित की गयी है।
हेमकुंड साहिब की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को पंजीकरण करवाना जरूरी है। पंजीकरण होने पर ही तीर्थ यात्री हेमकुंड साहिब की यात्रा पर जा सकते हैं। हेमकुंड साहिब की यात्रा के लिए https://registrationandtouristcare.uk.gov.in वेबसाइट पर जाकर पंजीकरण कराया जा सकता है।
हेमकुंड यात्रा मार्ग पर अभी भी जमी है बर्फ
तीर्थ यात्रियों का जत्था शनिवार सुबह छह बजे घांघरिया से रवाना हुआ और नौ बजे हेमकुंड साहिब पहुंचा। इसके बाद सुबह 9:30 बजे परंपरानुसार धाम के कपाट खोल दिए गए। हेमकुंड साहिब में अभी भी सात से आठ फीट बर्फ जमी हुई है। ऐसे में श्रद्धालु दो किमी बर्फ के बीच से सफर करेंगे।
हेमकुंड साहिब की यात्रा एक अद्भुत धार्मिक और प्राकृतिक अनुभव है। यह यात्रा उत्तराखंड राज्य में स्थित एक पवित्र सिख तीर्थ स्थल की है, जो 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। हेमकुंड साहिब का शाब्दिक अर्थ है “बर्फीली झील का गुरुद्वारा”, और यह गुरुद्वारा सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी को समर्पित है।
हेमकुंड साहिब उत्तरी भारत के हिमालय की ऊंचाइयों में बसा एक पवित्र स्थल, जहां आस्था और प्रकृति का संगम होता है। “गुरु गोविंद सिंह जी ने अपनी आत्मकथा में इस स्थान का उल्लेख किया है, जहां उन्होंने कठोर तपस्या की थी।
यह स्थल सिखों के लिए अत्यंत पवित्र है, और यहां हर वर्ष हज़ारों श्रद्धालु आते हैं, इसे सिखों के पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक कहा जाता है। हेमकुंड यात्रा की शुरुआत हरिद्वार या ऋषिकेश से होती है, जहां से तीर्थयात्री गोविंदघाट के लिए रवाना होते हैं। गोविंदघाट से घांघरिया तक का सफर, प्राकृतिक सुंदरता और चुनौतियों से भरा हुआ है। यहां कुदरत तीर्थ यात्रियों के हौसले की परीक्षा लेती है। हेमकुंड यात्रा मार्ग पर अभी भी कई जगह बर्फ जमी हुई है, इसलिए तीर्थ यात्री बर्फीले माहौल के बीच से होकर यात्रा कर रहे हैं।
“हेमकुंड साहिब, 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जहां गुरुद्वारे के पास सुंदर झील बनी हुई है। इस झील में पहाड़ियों पर जमी बर्फ से आने वाली पानी जमा रहता है इसलिए झील का पानी काफी ठंडा होता है, मगर तीर्थ यात्री फिर भी इस झील में स्नान करते हैं, उनके लिए ये झील काफी पवित्र है। “हेमकुंड झील का शांत और निर्मल जल, चारों ओर बर्फ से ढके पर्वत, और प्राकृतिक सौंदर्य मन को मोह लेते हैं।
हेमकुंड साहिब की यात्रा, न केवल एक धार्मिक अनुभव है, बल्कि यह प्रकृति के अद्भुत सौंदर्य का भी साक्षात्कार है। “यह यात्रा तीर्थ यात्रियों को आत्मिक शांति और नई ऊर्जा प्रदान करती है।
हेमकुंड यात्रा पर आने वाले तीर्थ यात्री जरूरी बातों का रखें ध्यान
हेमकुंड साहिब 15 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है, इतनी ऊंचाई पर हमेशा ही ऑक्सीजन की कमी रहती है, इसलिए यात्रा पर आने वाले तीर्थ यात्री इन बातों का ध्यान रखें, अगर किसी को हार्ट से जुड़ी समस्या है तो वो यात्रा पर आने से बच सकते हैं, अगर उनके लिए यात्रा पर आना बेहद जरूरी है तो डॉक्टर की सलाह लेकर और अपने साथ अपने स्वास्थ्य से जुड़ी जरूरी दवाइयां लेकर यात्रा कर सकते हैं।
तीर्थ यात्री अपने साथ एक लाठी लेकर जरूर चलें क्योंकि उससे सफर में काफी आसानी होती है। हेमकुंड यात्रा पर आने वाले यात्री आरामदायक जूते पहनकर आएं, भारी जूते मत पहने क्योंकि उससे सफर में चलने के दौरान काफी परेशानी होगी। ज्यादा टाइट जूते भी मत पहनिए इससे आपको चलने में काफी दिक्कत हो सकती है। इसके साथ ही अपने साथ खाने-पीने का सामान भी रख लें ताकी रास्ते में जब थकान हो तो कुछ खाकर ऊर्जा ले सकें। वैसे तो हेमकुंड साहिब यात्रा मार्ग पर कई जगह यात्रियों के लिए पानी की व्यवस्था, स्वास्थ्य जांच का इंतजाम किया गया है, मगर फिर भी यात्री अपने स्तर से भी इंतजाम करके चलें। तीर्थ यात्री अपने पीठ पर भारी सामान लादकर यात्रा ना करें, जितना जरूरी हो उतना ही सामान साथ लेकर आएं ताकी सफर में आसानी हो। पहाड़ों में कुछ पता नहीं मौसम कब खराब हो जाए, मौसम विभाग की सलाह है कि बारिश से बचाव का इंतजाम भी करके चलें, अपने साथ रेन कोट रख लें।
इसके साथ ही लक्ष्मण लोकपाल मंदिर के कपाट भी तीर्थ यात्रियों के लिए खोल दिए गए हैं।