-विश्व प्रसिद्ध योगगुरू स्वामी रामदेव जी, स्वामी चिदानन्द सरस्वती, विश्व के 75 से अधिक देशों से आये योगाचार्यों, योगजिज्ञासुओं और अनेक विश्व विख्यात विभूतियों ने अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक साध्वी भगवती सरस्वती जी को योग के क्षेत्र में उनकी अद्भुत सेवाओं के लिये किया सम्मानित
-परमार्थ निकेतन में जैविक रंगों व फूलों के साथ स्वामी रामदेव जी, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, साध्वी भगवती सरस्वती जी, श्री शिवमणि, गायिका रूणा रिज़वी, शिवमणि, विश्व विख्यात योगाचार्य और योग जिज्ञासुओं ने खेली होली
-मैं भारत में नहीं भारत मुझमें रहता हैं के मंत्र को आत्मसात कर विगत 27 वर्षों से भारत में रहने वाले साध्वी भगवती सरस्वती जी को प्रसिद्ध ड्रमवादक शिवमणि ने अपने मधुर संगीत की ध्वनियों से जन्मदिवस की शुभकामनायें भेंट की
-भारतीय संस्कृति का चलता-फिरता दर्शन हैं साध्वी भगवती सरस्वती जी
-हाॅलीवुड से हिमालय की दिव्य यात्रा का प्रतीक साध्वी जी
-साध्वी जी का जीवन सादगी, समर्पण और सेवा की अद्भुत मिसाल : शिवमणि
-अपना धर्म, संस्कृति, राष्ट्र और परिवार छोड़कर आना समर्पण की पराकाष्ठा : स्वामी रामदेव
-ईशावास्यमिदं सर्वं व वसुधैव कुटुम्बकम् के मंत्र मेरे जीवन के प्रेरणास्रोत : साध्वी भगवती सरस्वती
-प्रसिद्ध योगगुरू स्वामी रामदेव जी को उनके योग के क्षेत्र में अद्भुत योगदान के लिये किया सम्मानित
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में आज एक विशेष अवसर पर विश्व शान्ति यज्ञ का आयोजन किया गया, जिसमें प्रसिद्ध ड्रमवादक शिवमणि के प्रेम और सद्भावना के संगीत व ताल के साथ डा. साध्वी भगवती सरस्वती जी का 54वाँ जन्मदिवस धूमधाम से मनाया गया।


विश्व प्रसिद्ध योगगुरू स्वामी रामदेव जी, स्वामी चिदानन्द सरस्वती, विश्व के 75 से अधिक देशों से आये योगाचार्यों, योगजिज्ञासुओं और अनेक विश्व विख्यात विभूतियों ने अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक साध्वी भगवती सरस्वती जी को योग के क्षेत्र में उनकी अद्भुत सेवाओं के लिये सम्मानित किया।

इस विशेष अवसर पर प्रसिद्ध ड्रमवादक शिवमणि ने अपने मधुर संगीत की ध्वनियों से साध्वी भगवती सरस्वती जी को जन्मदिवस की शुभकामनाएं दीं।

योगगुरू स्वामी रामदेव जी ने कहा कि आज से 27 वर्ष पूर्व अपनी पीएचडी करने के पश्चात साध्वी जी ने जिस सरलता से भारतीय संस्कृति को अपनाया, हिन्दी बोलने का अभ्यास किया वह वास्तव में प्रेरणास्रोत है।




स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी को होली की शुभकामनायें देते हुये कहा कि होली का यह पर्व हमें यह सिखाता है कि जीवन में रंग तभी आते हैं, जब हम एकता, प्रेम और सद्भावना के साथ एक-दूसरे को स्वीकार करते हैं।


उन्होंने कहा कि होली केवल रंगों का पर्व नहीं है, यह एक नई शुरुआत का प्रतीक है, जहां हम अपने भीतर के भेदभाव और नफरत को समाप्त कर एक नई ऊर्जा और प्रेम को आत्मसात कर सकते हैं।


साध्वी जी, जो विगत 27 वर्षों से भारत में रहकर भारतीय संस्कृति, योग, साधना, सामाजिक व पर्यावरण सेवा एवं महिलाओं व बच्चों शिक्षा में योगदान दे रही हैं, उन्होंने जीवन में जो समर्पण और सेवा का मार्ग अपनाया है, वह सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत है।


साध्वी भगवती सरस्वती जी, भारतीय संस्कृति का चलता-फिरता दर्शन हैं। वह अपनी साधना, सेवा और विश्व कल्याण के कार्यों के माध्यम से भारतीय संस्कृति को विश्व स्तर पर स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।


साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि ईशावास्यमिदं सर्वं व वसुधैव कुटुम्बकम् के मंत्र मेरे जीवन के प्रेरणास्रोत हैं। भारत में आना व यहां रहना मेरे लिये परम सौभाग्य की बात है।


साध्वी भगवती सरस्वती जी का जीवन हम सभी को यह प्रेरणा देता है कि अगर हम अपनी ऊर्जा और समय को सेवा में लगाएं, तो हम न केवल अपना जीवन बल्कि समाज को भी ऊँचाइयों पर ले जा सकते हैं।