हरिद्वार में विजिलेंस टीम ने रजिस्ट्रार कानूनगो को रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया है। आरोप है की रजिस्ट्रार कानूनगो एक शख्स से दाखिल खारिज के नाम पर 28 सौ रुपए रिश्वत मांग रहा था।
करप्शन के दलदल में धंसे पटवारी-कानूनगो, अधिकारी खामोश क्यों?
हरिद्वार जिले में चकबंदी की प्रक्रिया चल रही है। जाहिर है चकबंदी से जुड़े विभाग के पास ही तमाम काम हो रहे हैं। जमीन की पैमाइश कराने से लेकर चक लगाने तक के तमाम कामों में पटवारी और कानूनगो जमकर अवैध वसूली करते आ रहे हैं। ज्यादातर मामले इसलिए सामने नहीं आ पाते हैं क्योंकि लोगों को लगता है कि अगर उन्होंने पटवारी, कानूनगो और चकबंदी से जुड़े दूसरे अधिकारियों का विरोध किया तो उनका बना बनाया काम बिगड़ जाएगा। इसलिए किसान काम कराने का ऐवज में पटवारी, कानूनगो या चकबंदी से जुड़ी दूसरे कर्मचारियों को पैसे थमा देते हैं।
जमीन की नकल लेने के लिए भी रिश्वत लेते हैं
जिस काम को पटवारी को फ्री में करना चाहिए उसके लिए भी वो किसानों से पैसे की मांग करते हैं। नकल के लिए पटवारी के द्वारा किसानों से पैसे की मांग की जाती है। शायद ही ऐसा कोई पटवारी हो जो रिश्वतखोरी के इस दलदल में ना डूबा हुआ हो।
दाखिल खारिज के लिए भी रिश्वत लेते हैं पटवारी-कानूनगो
इतना ही नहीं दाखिल खारिज की एवज में भी पटवारी किसानों से पैसों की मांग करते हैं। अगर कोई किसान पैसे देने में आनाकानी करता है तो उसके काम को लटका दिया जाता है। इसलिए मजबूरी में किसान पैसे देकर ही काम कराना ठीक समझता है
सैलरी कम फिर भी आलीशान कोठी में रहते हैं पटवारी-कानूनगो
आम इंसान जहां अपने जीवनभर एक अदद घर को नहीं बना पाता है, वहीं ज्यादातर पटवारी आलीशान कोठी में निवासी करते मिलेंगे। सवाल ये है कि आखिरकार इतनी कम तनख्वाह में ये आलीशान कोठी और ऐसोआराम का जीवन जीने के लिए पैसे आते कहां से है। ये जब उन किसानों से अवैध रूप में लिए गए पैसों से तैयार होता तो ज्यादातर पटवारी रिश्वतखोरी से जोड़ते हैं।