*पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और पूज्य साध्वी भगवती सरस्वती जी से दिव्य भेंटवार्ता*
*महाकुम्भ के दौरान परमार्थ निकेतन द्वारा संचालित दिव्यांगता मुक्त महाकुम्भ, सिंगल यूज प्लास्टिक फ्री आश्रम, भारतीय संस्कृति का वैश्विक प्रसार आदि कई सुन्दर पहलों का किया निरिक्षण*
*देवभक्ति अपनी-अपनी देशभक्ति सब मिलकर करे’ पूज्य स्वामी जी के इस आह्वान से माननीय कोविंद जी हुये गद्गद*
प्रयागराज। भारत के 14 वें राष्ट्रपति, श्री रामनाथ कोविंद जी सपरिवार परमार्थ निकेतन शिविर पधारें। माननीय कोविंद जी, श्रीमती सविता कोविंद जी और सुपुत्री स्वाति कोविंद जी ने पूज्य स्वामी जी और पूज्य साध्वी जी के साथ आत्मिक भेंटवार्ता की तथा अरैल, प्रयागराज में नवनिर्मित परमार्थ त्रिवेणी पुष्प का भ्रमण किया तथा परमार्थ निकेतन द्वारा संचालित विभिन्न गतिविधियों और प्रकल्पों का अवलोकन किया।

महाकुम्भ के दौरान, परमार्थ निकेतन द्वारा संचालित दिव्यांगता मुक्त महाकुम्भ, सिंगल यूज प्लास्टिक फ्री आश्रम और भारतीय संस्कृति का वैश्विक प्रसार जैसी कई सुंदर पहलों का भी राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी ने अवलोकन किया।



14 वें राष्ट्रपति, भारत, श्री रामनाथ कोविंद जी ने सपरिवार प्रयागराज के अरैल घाट पर आयोजित दिव्य परमार्थ गंगा आरती में सहभाग किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति, वसुधैव कुटुम्बकम् से पूरित-संपूरित है, जो सम्पूर्ण विश्व को विश्व एक परिवार है का संदेश दे रही हैं।


स्वामी जी ने कहा कि आज हमारे चारों ओर फिजाओं में जो आजादी की गूंज और सनातन के मंत्र गूंज रहे हैं उसमें अनेक बलिदानियांे का बलिदान, समर्पण और त्याग समाहित है।


स्वामी जी कहा कि भारत के पास विज्ञान है, तकनीकी है, विकास है, विरासत है परन्तु उससे भी बड़ी चीज है ’एकता, संस्कार और संस्कृति इसलिये हमें हमारे अन्दर जो बाॅर्डर, बाउंड्री और सेपरेशन है उससे मुक्त होना होगा और दिलों में एकता के दीपों को प्रज्वलित करना होगा।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि जब हम महाकुम्भ के अवसर पर संगम में डुबकी लगाते हैं तो हम बाहर के शोर से मुक्त होकर शान्ति की ओर बढ़ते हैं।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी ने हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा भेंट का माननीय श्री रामनाथ कोविंद जी का अभिनन्दन किया।
