गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद मां गंगा की उत्सव डोली या भोग मूर्ति को शीतकालीन पूजा स्थल मुखीमठ जिसे मुखबा (Mukhba) भी कहा जाता है वहां पर लाया जाता है। सर्दी के मौसम में 6 महीने तक मुखबा में ही मां गंगा की पूजा होती है। श्रद्धालु अगर चाहे तो सर्दी के मौसम में मुखबा आकर मां गंगा की पूजा कर सकते हैं और दर्शन कर सकते हैं। मुखबा उत्तरकाशी जिले में ही स्थित है।
मां गंगा के शीतकालीन प्रवास मुखबा कैसे पहुंचे
मां यमुना के शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा (Mukhba) दरअसल चारधाम के पुरोहितों का एक गांव है। इस गांव में वही लोग रहते हैं जो गंगोत्री धाम में पूजा-अर्चना का काम करते हैं। अगर आप शीतकालीन यात्रा के दौरान मुखबा (Mukhba) आने की सोच रहे हैं तो आपको यहां का सुंदरता को भी निहारने का मौका मिलेगा। साथ ही आप मां गंगा के दर्शन कर पाएंगे। मुखबा में आपको परंपरागत शिल्प से तैयार लकड़ी के मकान और ठंडी आबोहवा का लुत्फ उठाना का भी मौका मिलेगा। मुखबा (Mukhba) गांव में देवी गंगा के दो महत्वपूर्ण मंदिर हैं। एक कंक्रीट और पत्थर से बना है और पुराना मंदिर देवदार और पीतल से बना है। मुखबा जाने के लिए फिलहाल पूरी पक्की सड़क नहीं बन पाई है, अगर आप मुखबा आने की सोच रहे हैं तो आपको बता दें मुखवा गांव उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 78 की दूरी पर स्थित है। यह गांव सड़क मार्ग से भी जुड़ा हुआ है।
तो चले आईए मुखबा।
गंगोत्री के शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा की क्या है मान्यता
मुखबा को लेकर मान्यता है कि वानप्रस्थ के दौरान विचरण करते हुए पांडव मुखबा पहुंचे थे और यहां पर उनका प्रवास रहा था। इसके साथ ही एक और मान्यता ये है कि मार्कंडेय ऋषि ने तप कर यही अमरत्व का वरदान हासिल किया था। मुखबा में सर्दी के मौसम में बर्फबारी होती है, अगर आप यहां आते हैं तो आप बर्फबारी का भी लुत्फ उठा सकते हैं।